ननकू के क़िस्से

रॉकी चाचा ने चीकू, रसगुल्ला और ननकू के साथ मिलकर राखी बुआ को कमरे में घेर लिए..राखी बुआ तो डर गयीं और वो बाहर जाना चाहती थीं कि चीकू खड़ा हो गया दरवाज़े पर। अब राखी बुआ को बाहर जाने देने के लिए रॉकी चाचा ने कहा कि चीकू की एक शर्त माननी पड़ेगी। ननकू को तो समझ ही नहीं आ रहा था कि चीकू क्या शर्त रख सकता है भला?..पर राखी बुआ वहाँ से जाने के लिए हर शर्त मानने को तैयार थीं उन्होंने पूछा- “क्या शर्त है?”

रॉकी चाचा मुस्कुराते हुए बोले- “चीकू से हाथ मिलाना होगा..या फिर”

“या फिर…?” राखी बुआ झट से बोलीं

“या फिर रसगुल्ला को गोद में लेना होगा”- रॉकी चाचा बोले

राखी बुआ डर के पीछे हट गयी..”तू जान- बूझकर ये सब बोल रहा है..तू जानता है मुझे डर लगता है”

ननकू अब तक चुपचाप सब देख रहा था। उसे भी अब राखी बुआ को देखकर अच्छा नहीं लगा, लेकिन उसे ये भी समझ नहीं आ रहा था कि राखी बुआ को रसगुल्ला से कैसे डर लग सकता है। वो बोला- “बुआ रसगुल्ला से भी डर लगता है..?”

राखी बुआ ननकू की ओर देखीं तो उन्होंने देखा कि रसगुल्ला जिस तकिए के पीछे छुपा था अब उसके ऊपर आराम से लदकर सोने की तैयारी में था। ननकू उसके बाज़ू में ही बैठा है..राखी बुआ को रसगुल्ला की ये हरकत देखकर मज़ा आ गया, वो हँस दी..फिर ननकू को देखकर बोलीं-

“देख ननकू..तेरा रसगुल्ला मुझे भी प्यारा लगता है और चीकू से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है..लेकिन डर तो दोनों से लगता है..पता है जब मैं तेरे जितनी थी न तब मुझे एक कुत्ते ने बहुत ज़ोर से भौंकते-भौंकते दौड़ाया था और तब से मुझे बहुत डर लगता है..अभी चीकू यहाँ खड़ा है तो भी मैं यहाँ हूँ न..और रसगुल्ला भी यहीं पर है लेकिन जब ये दोनों मेरे पास दौड़ते हुए आते हैं या ऐसे ही पास में आ जाते हैं तो मुझे डर लगने लगता है”

राखी बुआ की बात सुनकर ननकू बोला- “अच्छा तो ये बात है..रॉकी चाचा, आप बुआ को जाने दो..चीकू हट जा दरवाज़े से..हट जा बोला न”- ननकू की बात सुनकर चीकू हटकर ननकू के पास आने लगा कि ननकू के पास खड़ी राखी बुआ डरने लगी..तभी ननकू बोला- “चीकू बुआ के पास मत आ दूर खड़ा हो जा..बुआ को जाने दे”

चीकू दरवाज़े से दूर खड़ा हो गया और राखी बुआ झट से बाहर भाग गयी। बुआ के जाते ही चीकू ननकू के पास आ गया और रॉकी चाचा भी उसके पास आकर बैठते हुए बोले- “क्या ननकू..अभी चीकू से हाथ मिलाती सारा डर चला जाता..तू भी न”

“नहीं रॉकी चाचा..माँ बोलती हैं कि ऐसे डर दूर नहीं होता..डर दूर करने के लिए तो कुछ और करना पड़ेगा”- ननकू बोला

“क्या..?”- रॉकी चाचा ने पूछा

“आप देखते जाओ”- ननकू मुस्कुराता हुआ बोला और कमरे से बाहर निकल गया चीकू उसके साथ चला दोनों को निकलते देख रसगुल्ला भी झट से तकिया छोड़ के उठ खड़ा हुआ और नीचे उतरने के लिए मचलने लगा। रॉकी चाचा उसे उतारते हुए बोले- “जा भई तू भी जा..देखते हैं तेरा बॉस क्या करता है”

रसगुल्ला भागता हुआ ननकू और चीकू के पीछे भागा..रसोई से दादी के रूम में जाती राखी बुआ से वो टकरा ही जाता कि झट से रुक गया। बुआ डरती उससे पहले ही रसगुल्ला पीछे हट गया, जब बुआ चुपके से निकल के कमरे में गयी तो रसगुल्ला वापस भागता हुआ ननकू और चीकू की तरफ़ बाहर चला। राखी बुआ को रसगुल्ला की ये हरकत अच्छी लगी वो मुस्कुरा उठीं। ननकू चीकू को कुछ समझा रहा था कि रसगुल्ला वहाँ पहुँचा। ननकू ने उसे गोद में बिठाया और समझाते हुए बोला-

“रसगुल्ला..राखी बुआ को बिलकुल भी नहीं डराना है..उनसे दोस्ती करना है..समझा?”- रसगुल्ला ननकू की बात सुनकर ख़ुश होकर कूदने लगा। चीकू भी उसके साथ कूदने लगा और ननकू हँसने लगा। इनकी आवाज़ सुनकर चुपचाप राखी बुआ दूर से उन्हें देखने लगी और मुस्कुरा उठी। बुआ दरवाज़े के पास आयी और बोली- “ननकू..तेरे ये चीकू और रसगुल्ला क्या खाएँगे?”

ननकू बोला- “बुआ ये दोनों भी रोटी खाते हैं..आपको पता है चीकू को न सेंवई पसंद है और रसगुल्ला को तो आम इतना पसंद है कि माँ कहती हैं कि ये तो आम के सामने सबको भूल जाता है”

“तुझको भी..?”- राखी बुआ उत्सुकता से बोलीं

“मुझे कभी भी नहीं भूलता..मैं इसको विक्की भैया और विन्नी दीदी के साथ गड्ढे से निकाल के लाया था..आपको पता है ये तो फिर गिर गया था तब चीकू ने इसको निकाला..तब दोनों की दोस्ती हो गयी”- ननकू रसगुल्ला और चीकू को गले लगाता हुआ बोला। राखी बुआ दूर से उनका प्यार देखती रही और फिर अंदर चली गयीं।

रात हो रही थी, रॉकी चाचा और राखी बुआ मिलकर सभी के सोने का प्रबंध कर रहे थे। माँ और दादी को तो मौसी दादी ने अपने कमरे में ही सोने कह दिया था। पापा राजू चाचा और रॉकी चाचा छत पर सोने का प्लान बना रहे थे। ननकू, रसगुल्ला और चीकू को दादी अपने रूम में सोने कह रही थी तो दूसरी ओर पापा कह रहे थे कि इन्हें छत पर ले चलते हैं। उन्हें लग रहा था कम से कम दिन भर काम में थकी राखी चैन से आराम तो कर ले वरना डर से सो नहीं पाएगी। आख़िर पापा के समझाने पर ननकू चीकू और रसगुल्ला के साथ पापा के पास छत पर ही सोने चला। तय हुआ कि दोनों दादी साथ में सोएँ और माँ के साथ राखी बुआ दूसरे कमरे में सोएँ। छत पर तीन चारपाई पहले ही बिछी थी एक में राजू चाचा, एक में रॉकी चाचा और एक में पापा और ननकू एक छोटी चारपाई चीकू और रसगुल्ला के लिए लगाकर उसे ननकू की चारपाई से रॉकी चाचा ने सटा दिया।

सब गहरी नींद में थे, राखी बुआ को हल्की-हल्की आवाज़ आयी, उनकी आँख खुली तो सुबह हो चुकी थी। राखी बुआ को आवाज़ हॉल से आ रही थी जब वो कमरे से बाहर निकली तो उनका अंदाज़ा सही निकला ये आवाज़ रसगुल्ला की ही थी, वो सीढ़ियों के पास बैठा बोल रहा था। राखी बुआ जब थोड़ा और पास गयीं तो उन्हें समझ आया कि शायद रात में उतरने के चक्कर में रसगुल्ला को चोट लग गयी है या तो वो सीढ़ियों से गिर गया है। वो समझ ही नहीं पा रही थीं कि अब क्या करें?

(रसगुल्ला को ऐसी हालात में देखकर क्या राखी बुआ उसकी मदद करेंगी..रसगुल्ला को हुआ क्या है और रसगुल्ला को चोट लग गयी ऐसे में ननकू कहाँ है वो रसगुल्ला के साथ क्यों नहीं आया क्या रसगुल्ला ख़ुद ही उतर के आ गया।।इतने सारे सवाल तो हमारे भी पास हैं लेकिन इसका जवाब तो तभी मिलेगा जब रसगुल्ला को मदद मिले..अब राखी बुआ तो डरकर रसगुल्ला को छुएँगी भी नहीं..क्या होगा ये तो कल ही पता चलेगा)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *