“गुटर-गुटर-गूँ बोल कबूतर”
गुटर-गुटर-गूँ बोल, कबूतर, कानों में रस घोल, कबूतर। बैठा तू छत की मुँडेर पर देख रहा क्या लचक-लचककर, बोल जरा, मैं भी तो सुन लूँ...
चाँद का कुर्ता
हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला सन-सन चलती हवा रात भर जाड़े...
बया
बया हमारी चिड़िया रानी। तिनके लाकर महल बनाती, ऊँची डालों पर लटकाती, खेतों से फिर दाना लाती नदियों से भर लाती पानी। तुझको दूर न...
बंदर और मदारी
देखो बच्चों बंदर आया,एक मदारी उसको लाया। उसका है कुछ ढंग निराला,कानों में पहने है बाला। फटे-पुराने रंग-बिरंगे कपड़े हैं उसके बेढंगे। मुँह डरावना आँखें...
किताबों मे बिल्ली के बच्चे
किताबों मे बिल्ली ने बच्चे दिए हैं, ये बच्चे बड़े हो के अफ़सर बनेंगे दरोगा बनेंगे किसी गाँव के ये, किसी शहर के ये कलेक्टर...
कोयल
काली-काली कू-कू करती, जो है डाली-डाली फिरती! कुछ अपनी ही धुन में ऐंठी छिपी हरे पत्तों में बैठी जो पंचम सुर में गाती है वह...
मिर्च का मज़ा
एक काबुली वाले की कहते हैं लोग कहानी, लाल मिर्च को देख गया भर उसके मुँह में पानी सोचा, क्या अच्छे दाने हैं, खाने से...
डॉ वंदना वर्मा की कविता “चाँद”
मम्मी देखो न ये चाँद टुकुर-टुकुर तकता है मुँह से तो कुछ न बोले पर मन ही मन हँसता है चैन से मुझको सोने नहीं...
कम्प्यूटर पर चिड़िया
बहुत देर से कम्प्यूटर पर बैठी चिड़िया रानी बड़े मज़े से छाप रही थी, कोई बड़ी कहानी तभी अचानक चिड़िया ने जब,गर्दन ज़रा घुमाई किंतु...
गिलहरी का घर
एक गिलहरी एक पेड़ पर बना रही है अपना घर, देख-भाल कर उसने पाया खाली है उसका कोटर कभी इधर से, कभी उधर से फुदक-फुदक...