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Abdul Hamid Adam Shayari

हंस के बोला करो बुलाया करो,
आपका घर है आया जाया करो

हद से बढ़कर हसीन लगते हो,
झूठी क़समें ज़रूर खाया करो

हुक्म करना भी एक सख़ावत है
हमको ख़िदमत कोई बताया करो

बात करना भी बादशाहत है
बात करना ना भूल जाया करो

हम हसद से “अदम” नहीं कहते,
उस गली में बहुत ना जाया करो

अब्दुल हमीद “अदम”

अदम के बारे में (Abdul Hamid Adam, Life and Profile) ~ अब्दुल हमीद अदम का जन्म १० एप्रिल,१९१० को हुआ। उनका जन्म पंजाब राज्य के गुजराँवाला ज़िले के एक गाँव तलवंडी मूसा ख़ान में हुआ। भारत और पाकिस्तान के बँटवारे के बाद ये इलाक़ा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। सन १९२७-२८ में उन्होंने भारतीय सेना जोईन कर ली।

अदम को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मिडल ईस्ट भेजा गया। उन्होंने ब्रिटिश राज के अंतर्गत भारतीय आर्मी की सेवा ईरान और ईराक़ में की। ईराक़ में उन्हें एक ईराक़ी लड़की से मुहब्बत हो गयी और उन्होंने उससे शादी कर ली, ये उनकी दूसरी शादी थी। जब युद्ध ख़त्म हुआ और सैनिकों की वापसी हुई तो वो अपनी ईराक़ी पत्नी को साथ लेकर भारत लौटे।

भारत आने के बाद उन्हें पूना में पोस्टिंग मिली। वो बहुत शराब पीने लगे और घर बहुत देर से आने लगे। ईराक़ी बीवी को ये बातें बुरी लगती थीं और दोनों में अक्सर बहस होती।

कुछ ही दिन में ये इख़्तिलाफ़ झगड़े की शक्ल लेने लगे। आख़िर ईराक़ी पत्नी ने अदम को छोड़ने का फ़ैसला किया और वो वापिस अपने मुल्क लौट गयी।

१९४७ में जब भारत-पाकिस्तान का बँटवारा हो गया, अदम का ज़िला पाकिस्तान में रहा तो उन्होंने पाकिस्तान में ही रहने का फ़ैसला किया। पाकिस्तान बनने के बाद उनका ट्रान्सफ़र रावलपिंडी में हो गया। उन्होंने बाद में Deputy Assistant Controller of Military Accounts का पदभार सम्भाला और १९६६ में इसी पद पर रहते हुए रेटायअर हुए।

दूसरी पत्नी के जाने के बाद अदम अपनी पहली पत्नी के साथ उम्रभर वफ़ादार रहे। १९७८ या १९७९ में उनकी पत्नी ने दुनिया को अलविदा कह दिया।१९८१ में अदम भी इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

Abdul Hamid Adam Shayari

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