आज की कहानी- पिंजरा
(यह कहानी साहित्य दुनिया टीम के सदस्य/ सदस्यों द्वारा लिखी गयी है और इस कहानी के सर्वाधिकार साहित्य दुनिया के पास सुरक्षित हैं। बिना अनुमति...
आज की कहानी- ग़म रोज़गार के…
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फ़िराक़ गोरखपुरी के 40 शेर
1. तुम्हें क्यूँकर बताएँ ज़िंदगी को क्या समझते हैं समझ लो साँस लेना ख़ुद-कुशी करना समझते हैं 2. बस इतने पर हमें सब लोग दीवाना...
आज की कहानी- तितलियाँ
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रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ…. अहमद फ़राज़
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मुहब्बत का भरम...
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं …ख़ुमार बाराबंकवी
वही फिर मुझे याद आने लगे हैंजिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं वो हैं पास और याद आने लगे हैंमुहब्बत के होश अब ठिकाने लगे...
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं… अहमद फ़राज़
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है रब्त है उसको...
इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं…ज़हरा निगाह
इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं हमने जिस रस्ते पर उसको छोड़ा है फूल अभी तक उस...
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता …. निदा फ़ाज़ली
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो जहाँ उमीद हो इसकी...
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी…. बहादुर शाह ज़फ़र
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी ले गया छीन के कौन आज...